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सर्दियों में बढ़ जाता है इन पांच बिमारियों का खतरा , सेहत का ख्याल रखना ही समझदारी, जाने लक्षण और बचाव के उपाय

सर्दियों में बढ़ जाता है इन पांच बिमारियों का खतरा

सर्दियों में बढ़ जाता है इन पांच बिमारियों का खतरा , सेहत का ख्याल रखना ही समझदारी, जाने लक्षण और बचाव के उपाय

भारत में हर मौसम अपनी खूबसूरती और कठिनाइयां लेकर आता है। सर्दियां भी इनमें से एक है। ऐसे में जैसे ही मौसम बदलता है ,हम लोगों को अपने आहार और जीवन शैली में आवश्यक परिवर्तन एवं सावधानियां बरतनी चाहिए। ऐसा करने से हम गंभीर बिमारियों से बचे रहेंगे सर्दी गुलाबी ठंडी हवा लेकर आती है ।

बदलते मौसम में बिमारियों के प्रकोप से कोई नहीं बच पाता । ऐसे में सर्दियों में होने वाली बिमारियों से बचने के लिए लोग स्वेटर और कंबल का सहारा लेते हैं। लेकिन इसके साथ ही साथ हमें अपने आहार और जीवन शैली में भी आवश्यक परिवर्तन जरूरी है। क्योंकि सर्दियों में कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो सर्दी के साथ -साथ अंत तक चलती हैं । अतः सर्दियों में होने वाली पांच प्रमुख बीमारियां, उनके लक्षण और उनसे बचने के उपाय निम्न हैं –

इन्फ्लूएंजा

इन्फ्लूएंजा जिसे फ्लू भी कहा जाता है। यह वायरस से संक्रमित होने वाली बीमारी है जो नाक और गले को प्रभावित करती है। सर्दियों में इम्यूनिटी पावर कमजोर हो जाती है, इससे फ्लू का खतरा बढ़ जाता है और इसके लक्षणों में बुखार, गले में खराश,नाक बहना, सिरदर्द, थकान और सांस की परेशानी आदि शामिल है। सूखी खांसी और कब भी फ्लू के लक्षण हो सकते हैं। नाक बहना, बार- बार छींक आना और कब ये तीनों सर्दियों के मौसम में होना सामान्य बात है। यह एक दो हफ्ते में ठीक हो जाता है, लेकिन ज्यादा समय तक बना रहे तो निमोनिया का रुप ले सकता है।

फेफड़ों का संक्रमण

सर्दियों के मौसम में फेफड़ों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके होने पर फेफड़ों में सूजन आ जाती है, जिसके कारण मरीज में खांसी,सांस लेने में कठिनाई और सीने में दर्द जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।इन लक्षणों के अलावा कुछ लोगों में नेजल कंजेशन और बुखार आदि भी अनुभव हो सकता है।

गले में खराश

गले में खराश जो बच्चों में सबसे आम है।यह एक बैक्टिरियल इन्फेक्शन है, जो स्थैप्टोकाकल बैक्टीरिया से से होता है। यह इंफेक्शन गले में इन्फ्लेमेशन और सूजन का कारण बन सकता है। कुछ लोगों में बुखार और खराश के साथ गले में दर्द भी महसूस हो सकता है। लेकिन कुछ लोग स्ट्रेप थ्रोट और सोर थ्रोट में कंफ्यूज हो जाते हैं, लेकिन दोनों में अंतर होता है और इसे सही रूप से पहचान और उपचार करना महत्वपूर्ण है। स्ट्रेट थ्रोट एक बैक्टीरिया इंफेक्शन होता है, जबकि सोर थ्रोट आमतौर पर वायरल होता है। स्ट्रेट थ्रोट का उपचार एंटीबायोटिक के साथ किया जाता है, जबकि सोर थ्रोट समय के साथ ठीक हो जाता है।

टॉन्सिल

सर्दियों में होने वाली बीमारियों में टॉन्सिल भी सबसे आम है। गले के अंदर दो ओवल शेप्ड टिशु में होने वाली सूजन को टॉन्सिल कहा जाता है। इसमें इन्फ्लेमेशन के कारण टॉन्सिल का आकार बढ़ जाता है और गले में सूजन व दर्द की समस्या हो जाती है। इसमें पानी पीने में भी गले में दर्द महसूस होता है।

इस प्रकार सर्दियों में हम अपनी इम्यूनिटी को बढ़कर तथा कुछ सावधानियां रखकर इन बीमारियों से अपने आप को बचा सकते हैं।

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