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सहजन से 300 बीमारियों का रामबाण इलाज

सहजन से 300 बीमारियों का रामबाण इलाज

सहजन अपने कई औषधि गुण की वजह से विश्व भर में प्रसिद्ध है ।इस पेड़ के सभी भाग सेहत के लिए फायदेमंद हैं ।विटामिन और मिनरल से भरपूर यह पेड़ 300 रोगों के उपचार में उपयोग होता है ।कोरोना के प्रकोप के बाद लोग स्वास्थ्य और जीवन शैली को लेकर गंभीर हो गए हैं ।आयुर्वेद की  औषधियोऔर उपायों पर भरोसा कर रहे हैं, और इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर रहे हैं। ऐसे में सहजन से कई सारी बीमारियों से छुटकारा मिलता है ।

आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार के लिए इसे इस्तेमाल किया जा रहा है ।इसे मोरिंगा और ड्रमस्टिक भी कहते हैं ।इसके तना ,पत्ती समेत सभी भागों का उपयोग किया जाता है ।इसके पत्तों में केले से 15 गुना ज्यादा पोटेशियम और संतरे से 7 गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है।

सहजन के औषधीय फायदे-

सहजन एंटीबायोटिक, एनाल्जेसिक ,एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइनफ्लेमेटरी, एंटी कैंसर ,एंटी डायबिटिक, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीजिंग के रूप में  काम करता है।

सहजन में विटामिन ए ,विटामिन b1 थायमिन, विटामिन b2 राइबोफ्लेविन,विटामिन b3 नियासिन,विटामिन b6 फोलेट, एस्कार्बिक एसिड ,कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन ,फास्फोरस और जस्ता पाया जाता है।

सहजन का उपयोग कैसे करें-

इस पौधे के सभी भाग फायदेमंद होते हैं लेकिन इसके पत्ते सबसे अधिक गुणकारी होते हैं आप अपने खाना पकाने में सहजन की पत्तों का उपयोग कर सकते हैं। इसकी फली सूप और करी के लिए और इसके सूखे पत्तों के पाउडर का भी उपयोग कर सकते हैं इसके अलावा मोरिंगा की फली को उबाल कर उसका सूप पीने से गठिया के दर्द में राहत मिलती है। एक छोटा चम्मच मुर्गा पाउडर लेकर इसे अपनी रोटी स्मूदी एनर्जी ड्रिंक डाल आज में स्वास्थ्य के उद्देश्य से मिल सकते हैं।

सहजन की 10 फायदे निम्न है-

1 . यह शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बेहतर बनाने में मदद करता है ।

2. यह रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित करता है ।

3.  यह लीवर और किडनी को डिटॉक्सिफाई करता है ।

4.  यह शरीर का वजन घटाने में मदद करता है ।

5.  यह शरीर के रक्त को शुद्ध करता है और चर्म रोगों को भी दूर करता है ।

6.  यह शरीर में शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखता है।

7.  यह तनाव और चिंता को भी दूर करता है।

8.  यह उपापचय को में भी सुधार करता है ।

9.  यह थाइरॉएड फंक्शन में भी सुधार करता है ।

10.  यह माताओं में स्तन के दूध के उत्पादन को बढ़ाता है।

 

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