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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की रिकॉर्ड जीत

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की रिकॉर्ड जीत

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार एवं पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उपराष्ट्रपति वह डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रत्याशी कमला हैरिस पर जोरदार जीत हासिल की। 1892 में ग्रोवर क्लीवलैंड के बाद वह पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जो चार साल केअंतराल के बाद फिर से चुनाव जीत करके आए हैं ।इस लिहाज से भी उन्होंने एक नया इतिहास रचा है।

अमेरिकी इतिहास में यह एक बेहद असाधारण चुनाव था ,जिसमें डोनाल्ड ट्रंप पर दो बार जानलेवा हमले और एक आपराधिक ट्रायल भी देखने को मिला। जबकि डेमोक्रेटिक खेमे ने अंतिम दौर में वाइडन की जगह कमला हैरिस को प्रत्याशी बनाया। यदि वाइडन कमजोर राष्ट्रपति साबित नहीं हुए होते और उन्होंने अर्थव्यवस्था को संभालने के साथ वैश्विक समस्याओं और विशेष रूप से यूक्रेन एवं गजा युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाई होती तो शायद कमला हैरिस की राह आसान होती है। कमला हैरिस को इसका भी नुकसान उठाना पड़ा की डेमोक्रेटिक पार्टी ने शरणार्थियों और अवैध रूप से आए लोगों के प्रति उदार रवैया अपनाया। भारत एवं अफ्रीकी मूल की महिला होने के नाते वह महिलाओं और साथ ही विदेशी मूल की नागरिकों को उतना आकर्षित नहीं कर पाए जितना मानकर चला जा रहा था। यह भी उनकी पराजय का कारण बना।

जबकि ट्रंप एक मजबूत नेता की अपनी छवि उभारने ,अमेरिका के साथ दुनिया की समस्याओं के समाधान में सक्षम साबित होने का संदेश देने के साथ यह भरोसा दिलाने में भी समर्थ रहे कि वह महंगाई से जूझती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सामर्थ रखते हैं ।इसमें उनकी व्यापारी वाली छवि भी सहायक बनी। ट्रंप की जीत बहुत व्यापक है और उनके सहारे दोनों सदनों में कई रिपब्लिकन की नैया पार लगी है, उन्होंने अपने दम पर पार्टी की छवि और उसके सितारों को नए सिरे से गढा है। उन्होंने मतदाताओं को लामबंद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। यही कारण है कि आधुनिक अमेरिकी इतिहास में यह सर्वाधिक मतदान वाला चुनाव रहा हैइन चावन ने कई वर्षों के रिकार्ड को भी तोड़ा है। 78 वर्षीय ट्रंप अमेरिका की 47 में राष्ट्रपति होंगे ।उन्होंने जीत के लिए जरूरी 270 वोटो का आंकड़ा पार कर अपनी ऐतिहासिक दर्ज की। ताजा नतीजे के बाद ट्रंप दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहले ऐसे राजनेता हैं जो 4 साल के अंतराल के बाद दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे।

 

वर्ष 2024 में राष्ट्रपति पद के लिए दूसरी बार मुकाबले में उतरने के साथ वह कई अभियोगों और आपराधिक मामलों का सामना कर रहे थे ,तथा न्यूयार्क की एक अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया। इस तरह वह किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने वाले पहले पूर्व  अमेरिकी राष्ट्रपति हैं ।ग्रांड ज्यूरी ने उन्हें व्यावसायिक रिकॉर्ड में हेरा फेरी करने के 34 मामलों में दोषी पाया।

 

ट्रंप ने बढ़ती महंगाई दक्षिणी सीमा पर विदेशियों की बढ़ती आवक और वैश्विक स्थिरता को मुद्दा बनाया है। हैरिस ने विडेन की असफलताओं से खुद को दूर रखने का भरसक प्रयास किया ,लेकिन वह उसमें सफल नहीं हो सकी ।प्रवासी व्यापार, संस्कृतिक मुद्दो एवं विदेश नीति पर भी हैरिस और ट्रंप के विचार विपरीत थे ।जहां अमेरिकी मतदाताओं ने ट्रम्प के पक्ष में अपना फैसला सुनाना पसंद किया। अमेरिका के साथ प्रगाढ़ साझेदारी समकालीन भारतीय विदेश नीति के मूल में है। भारत को भी अमेरिका की घरेलू राजनीति में आ रहे परिवर्तनों के अनुरूप खुद को ढालना होगा।  व्यापक जनादेश के साथ 2024 में ट्रंप की विजय यही दर्शाती है कि 2016 में उनकी जीत कोई तुक्का नहीं थी। साथ ही यह शेष विश्व के साथ अमेरिका की सहभागिता में व्यापक बदलाव की सूत्रपात का भी संकेत है।

रिपब्लिक पार्टी का अमेरिकी संसद के दोनों सदनों में बहुमत होगा। इसलिए यह तय है कि ट्रंप अपने मन माफिक खुलकर काम करेंगे ।लेकिन इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती कि वह अप्रत्याशित फैसला करने वाले बड़बोली नेता हैं। वह जलवायु परिवर्तन की समस्या नहीं मानते और अमेरिका की आर्थिक हितों के आगे वैश्विक हितों की परवाह नहीं करते ।वैसे उनके

पहले कार्यकाल में विश्व अपेक्षाकृत स्थिर था और इसमें उनका भी योगदान था ।ट्रंप का राष्ट्रपति बनना भारतीय हितों के लिए अच्छा माना जा रहा है और इसके पीछे कुछ ठोस कारण है ।पहले कार्यकाल में वह भारत के मित्र के रूप में उभरे थे ।लेकिन इस सच्चाई से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि वह भारत की उच्च आयात शुल्क दर की शिकायत करते रहें ।भारत को व्यापार नीति के साथ  एच- वन भी वीजा पर उनके रवैये से भी सतर्क रहना होगा। जानकारों का कहना है कि मोदी और ट्रंप की केमिस्ट्री इस बार इन दोनों के पहले कार्यकाल से भी ज्यादा मजबूत दिखाई दे सकती है। इसका संकेत स्वयं ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान दिया है।

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